झाँसी। जिले की दो स्वास्थ्य इकाइयों मरुरानीपुर और बबीना इकाई को ब्लड स्टोरेज़ यूनिट का सर्टिफिकेशन मिल गया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ॰ जी के निगम के अनुसार इन केन्द्रों से अब जिले के मरीजों को आसानी से खून मिल सकेगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जिला महिला व जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त दो इकाइयां जनपद में प्रथम संदर्भन इकाई के रूप में संचालित है। आपातकाल की स्थिति में ग्रामीण स्तर के लोग इन इकाइयों पर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आते हैं। लॉकडाउन के दौरान बाधित हुई सेवाएं अब सभी इकाइयां पर पुनः संचालित हैं। इन दोनों इकाइयों पर आपातकालीन सेवाएँ तो थी ही बस अकस्मात खून को मुहैया कराने की कमी को अब पूरा कर दिया गया है। सर्टिफिकेशन के साथ यहाँ ब्लड स्टोरेज़ यूनिट बनाई जाएगी। जिला कार्यक्रम प्रबन्धक ऋषिराज ने बताया कि इन इकाइयों पर ब्लड स्टोरेज़ से जो प्रसूता इन केन्द्रों पर प्रसव के लिए आती है, उनको हर समय खून की जरूरत की सहूलियत मिल जाएगी। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को रोकने के लिए उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था को चिन्हित किया जा रहा है।
सामान्य प्रसव में भी खून की जरूरत
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ॰ एन के जैन ने बताया कि किसी भी गर्भवती के समान्य प्रसव के लिए हीमोग्लोबिन का एक मानक है। मानक के अनुसार यदि हीमोग्लोबिन 11 है तो वह स्वस्थ है लेकिन यदि गर्भवती में इससे कम हीमोग्लोबिन है तो उसको प्रसव के पहले खून चढ़ाने की आवश्यकता पड़ सकती है। इसी के साथ ही प्रसव के समय ज्यादा खून बह जाने से भी आपातकाल की स्थिति बन जाती है।
हर माह 200 मरीज लेते हैं खून
ब्लड बैंक, जिला अस्पताल के इंचार्ज़ डॉ॰ एम एस राजपूत बताते है कि अमूमन प्रति माह 150 से 200 लोगों को खून की आवश्यकता पड़ती है। कोविड के समय यह दर गिरकर 60-70 हो गयी थी। ब्लड बैंक में 500 यूनिट खून रखने की क्षमता है जरूरत के हिसाब से कैंप लगाकर रक्त एकत्रित किया जाता है।
रिपोर्ट- राधा अहिरवार, झाँसी
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