सांसद अनुराग शर्मा ने मा.गृहमंत्री अमित शाह से भेंट कर बुन्देली भाषा, मूंगफली किसानों और सहारिया समुदाय के मुद्दे उठाए, गृह मंत्री से भेंट में बुंदेली भाषा, किसानों की आय बढ़ाने और जनजातीय अधिकारों की गूंज - fastindianews

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Tuesday, May 6, 2025

सांसद अनुराग शर्मा ने मा.गृहमंत्री अमित शाह से भेंट कर बुन्देली भाषा, मूंगफली किसानों और सहारिया समुदाय के मुद्दे उठाए, गृह मंत्री से भेंट में बुंदेली भाषा, किसानों की आय बढ़ाने और जनजातीय अधिकारों की गूंज

 झांसी।   झांसी-ललितपुर के लोकप्रिय सांसद श्री अनुराग शर्मा जी ने आज भारत सरकार के माननीय गृहमंत्री श्री अमित शाह जी से सौजन्य भेंट की। इस भेंट के दौरान उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र से जुड़े कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण विषयों को उनके समक्ष प्रस्तुत किया तथा क्षेत्र की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक समस्याओं की ओर उनका ध्यान आकृष्ट करते हुए आवश्यक कार्यवाही हेतु आग्रह किया।

श्री शर्मा ने सबसे पहले बुन्देलखण्ड क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए बताया कि आजादी के बाद बुन्देलखण्ड क्षेत्र को विंध्य प्रदेश के अंतर्गत 35 देशीय रियासतों को मिलाकर गठित किया गया था, जो लगभग आठ वर्षों तक अस्तित्व में रहा। वर्ष 1956 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा इस क्षेत्र के सात जनपद उत्तर प्रदेश में और सात जनपद मध्य प्रदेश में शामिल कर दिए गए। आज भी बुन्देलखण्ड क्षेत्र की सामाजिक और भाषाई सशक्त पहचान के रूप में विद्यमान है। श्री शर्मा ने कहा कि बुन्देलखण्ड में लगभग ढाई करोड़ लोग बुन्देली भाषा का प्रयोग करते हैं। यह भाषा न केवल संवाद का माध्यम है, बल्कि लोक संस्कृति की वाहक, वीर गाथाओं, लोक गीतों और कथाओं के माध्यम से इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता का जीवंत प्रमाण भी है। भारत की 2011 की जनगणना में यह स्पष्ट हुआ है कि बुन्देली भाषा कई अन्य अधिसूचित भाषाओं की तुलना में अधिक बोली जाती है। इसके बावजूद अब तक बुन्देली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान नहीं मिल सका है। उन्होंने माननीय गृह मंत्री से आग्रह किया कि बुन्देली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाए जाएं।

इसके बाद श्री शर्मा ने झांसी और ललितपुर जिलों में मूंगफली की खेती से जुड़ी समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि रबी वर्ष 2024-25 में झांसी में लगभग 1.89 लाख मीट्रिक टन और ललितपुर में 50 हजार मीट्रिक टन मूंगफली का उत्पादन हुआ है। यह क्षेत्र मूंगफली की गुणवत्ता की दृष्टि से गुजरात के बाद देश में दूसरे स्थान पर आता है। यहां की मूंगफली की आपूर्ति दक्षिण भारत, बिहार एवं पूर्वोत्तर राज्यों में की जाती है। परन्तु इस वर्ष मूंगफली की खरीद प्रक्रिया में अनेक बाधाएं सामने आईं। क्रय केन्द्रों के देर से खुलने, कर्मचारियों की निष्क्रियता तथा बिचौलियों की मिलीभगत के चलते किसान निर्धारित समर्थन मूल्य ₹6783 प्रति क्विंटल की अपेक्षा ₹4700 से ₹5000 प्रति क्विंटल तक मूंगफली बेचने को विवश हुए। इससे वास्तविक किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। सांसद महोदय ने मांग की कि उत्तर प्रदेश सरकार और सहकारिता विभाग को निर्देशित किया जाए कि भविष्य में समय पर क्रय केन्द्र खोले जाएं, किसानों को सीधे लाभ पहुंचे और खरीद व्यवस्था पारदर्शी और प्रभावी हो।

श्री शर्मा ने झांसी जनपद के सहारिया समुदाय की सामाजिक स्थिति की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने बताया कि झांसी और ललितपुर दोनों जनपद एक समान सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश वाले हैं, और वर्ष 1974 से पहले दोनों एक ही जनपद के अंतर्गत आते थे। ललितपुर जनपद में सहारिया जाति को अनुसूचित जनजाति (एसटी) के रूप में मान्यता प्राप्त है, जबकि झांसी में समान रहन-सहन, पेशा और सामाजिक परिस्थिति के बावजूद इस समुदाय को अभी भी अनुसूचित जाति (एससी) की श्रेणी में रखा गया है। यह एक बड़ा अन्याय है। सांसद महोदय ने बताया कि वर्ष 2019 से लगातार उत्तर प्रदेश सरकार से यह आग्रह किया जा रहा है कि झांसी के सहारिया समुदाय को भी अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित किए जाने हेतु प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जाए, लेकिन अभी तक यह कार्यवाही नहीं हो सकी है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, लखनऊ द्वारा एथनोग्राफिक सर्वेक्षण किया जा चुका है, लेकिन उसकी रिपोर्ट अब तक शासन को भेजी नहीं गई है। उन्होंने आग्रह किया कि इस दिशा में शीघ्र निर्णय लिया जाए जिससे झांसी जनपद के सहारिया समुदाय को भी उनका न्यायोचित हक प्राप्त हो सके।

श्री अनुराग शर्मा जी की इस बैठक में बुन्देलखण्ड क्षेत्र की भाषा, किसान और वंचित समुदायों से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया, जिन पर माननीय गृहमंत्री ने गंभीरतापूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया।

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